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लेखनी प्रतियोगिता -22-Feb-2022


आपसे है        हमारी        यही कामना
डगमगाते डगों को डगर         दीजिए।
आपके पायलों    के   चमकते हैं नग
जुगनुओं को   सुहाना    सफर दीजिए।

तुम दिया देख लो हो सितारा नयन
बन ही जाएगा इक दिन मेरा मन गगन।
शब्द  है   जून   में   जैसे  बरसे  बदर
है कमल जैसे खिलता तेरा यह अधर।।

आप हो चांदनी की चमकती निशा
आपके दिल का हूं सौर मैं आप में।
इससे बेहतर कि फैलो गगन में प्रिय
आप मुझमें बसो और मैं आप में।

एक तिनका      सहारा       बनेगी    मेरी।
नाव डूबा हूं     आतुर कि    दे    दो लहर।
इस   लहर   में  मैं  बहकर चला जाऊंगा।
किस तरफ क्या पता क्या मेरा है सफ़र।

दीपक झा रुद्रा

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12 Comments

Arshi khan

03-Mar-2022 03:39 PM

Wah

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Inayat

03-Mar-2022 01:38 PM

उत्तम रचना

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Pamela

01-Mar-2022 06:55 PM

Badiya

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